चंद्रताल लेक तक पहुंचने के रास्ते में बहुत से खूबसूरत पल आते हैं. जिन्हें हर कोई अपने कैमरे में कैद करना चाहता है. नीला आसमान, कल-कल बहता पानी. पहाड़ों के बीच घास के हरे भरे मैदानों में भेड़ बकरियों का झुंड. लेकिन जो जगह जितनी सुंदर होती है. वहां तक पहुंचने का रास्ता उतना ही खतरनाक.
टेढ़े मेढ़े और संकरे रास्तो से गुजरता है सफर
चंद्रताल झील तक ले जाने वाली रास्ते की कहानी भी कुछ ऐसी है. बेहद संकरा और पथरीला रास्ता, रोड के एक तरफ ऊंचे पहाड़ तो दूसरी ओर गहरी खाई. रास्ते के बीचोबीच पहाडों से गिरकर सड़क पर बहता पानी, यहां तक पहुंचना है, तो साथ में एक ड्राइव एक्सपर्ट का रहना बेहद जरूरी है.चंद्रताल की यात्रा अपने आप में कई मायनों में खास है, आकर्षक झील और इसका चमचमाता पानी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. जिसे देखकर हर कोई आनंदित और रोमांचित हो उठता है. चंद्रताल लेक एडवेंचर्स ट्रैकिंग के लिए जानी जाती है. दूर-दूर से ट्रैवलर यहां ट्रेकिंग का रोमांच भरा आनंद लेने के लिए आते हैं.
चंद्रताल झील का आकार अर्द्धचंद्र की तरह है. इसलिए इसका नाम चंद्रताल पड़ा यानी चांद की झील. इस झील का पानी इतना साफ है कि ये शीशे की तरह चमकता है. माना जाता है कि झील का ये इलाका कभी स्पीति और कुल्लू जाने वाले तिब्बत और लद्दाखी व्यापारियों का महत्वपूर्ण स्थल हुआ करता था. चंद्रताल झील करीब 4 किलोमीटर में फैली है.
कई बार रंग बदलती है झील !
जैसे दिन के पहर बदलते हैं, झील के पानी का रंग भी बदलता है. और यही वो वजह है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
झील के कई रहस्य हैं
कई बार झील की गहराई नापने की कोशिश की गई. लेकिन झील की अथाह गहराई के आगे सारे पैमाने छोटे पड़ जाते हैं.
झील के आस-पास गद्दी समुदाय का बसेरा
झील के आसपास गद्दी समुदाय के लोग अपनी भेड़ -बकरियों के साथ डेरा जमाए रहते हैं. गद्दी समुदाय के लोग करीब 2 महीने तक झील के आसपास रहते हैं. झील के किनारे वाले पहाड़ों पर उगने वाली हरी घास इन भेड-बकरियों के लिए काफी अच्छी होती है.
LAC से सटा है चंद्रताल का क्षेत्र
चंद्रताल का इलाका LAC से सटा है. इस इलाके की सुरक्षा और चौकसी के लिए यहां हमेशा ITBP तैनात रहती है. ITBP के जवानों की भी इस झील से धार्मिक भावनाएं जुड़ी है. कहा जाता है, कि जब भी जवानों का ट्रुप यहां से गुजरता वो हमेशा इस झील के दर्शन कर ही आगे बढ़ता है.