हमारा देश विविधिताओं से भरा है. उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक. पश्चिम में कच्छ से लेकर पूर्व में कोहिमा तक. पूर्वोत्तर के राज्यों के बारे में भले ही ज्यादा बात न होती हो. लेकिन इन राज्यों की खूबसूरती देखते ही बनती है. नागालैंड की राजधानी कोहिमा भी ऐसी ही जगहों में से एक है.
कोहिमा पहुंचने पर लगता है, जैसे हम किसी और संसार में है. कहा जाता है, कि कोहिमा को ये नाम अंग्रेजों ने दिया, जो कि इस शहर के वास्तविक नाम केवहिमा से लिया गया था. केवहिमा नाम यहां के केवही फूलों के कारण पड़ा था. जो इस शहर में चारो ओर पहाड़ों पर पाए जाते हैं.
कोहिमा के इतिहास के बारे में जानेगें, तो पाएंगे कि ये क्षेत्र, दुनिया से अन्य भागों से हमेशा बिल्कुल अलग रहा है, 1840 में पहली बार यहां ब्रिटिश आए थे. जिसके बाद से लंबे वक्त तक नागा जनजातियों के साथ उनका संघर्ष चला. ये संघर्ष कोई 4 दशक लंबा था. ब्रिटिश काल में कोहिमा को नागा पहाड़ी जिले का मुख्यालय बनाया गया था. 1963 में इसे नागालैंड राज्य की राजधानी बनाया गया.
कई लड़ाईयों का गवाह है कोहिमा
कोहिमा, कई लड़ाईयों का गवाह है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आधुनिक जापानी सेना और अन्य मित्र देशों के बीच होने वाले कोहिमा का युद्ध और टेनिस कोर्ट की लड़ाई, कोहिमा ने देखी है. यहां स्थापित कोहिमा युद्ध स्थल पर्यटकों का अपनी खींचता है. कोहिमा युद्ध स्थल पर सौ से भी ज्यादा सैनिकों की कब्र बनी हुई हैं.
इतिहास के अलावा प्राकृतिक सुंदरता लोगों को मन मोह लेती है. ऊंची चोटियां, घुमड़ते बादल, बहकती हवा पर्यटकों के लिए इस जगह को खास बना देती है. दुनिया के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक यहां आकर कोहिमा चिडि़याघर, राज्य संग्रहालय, जुफु चोटी की सैर अवश्य करते हैं.
अगर आप कभी कोहिमा की सैर के लिए जाएं तो दझुकोउ घाटी और दझुलेकि झरना जरूर देखें, कोहिमा में स्थित कोहिमा कैथोलिक चर्च, पूरे देश में स्थित गिरिजाघरों में से सबसे बड़ा और सबसे सुंदर चर्च है. यह एक बेहतरीन पर्यटक स्थल भी है, इसे अवश्य देखना चाहिए, संस्कृति, पाक कला और पंथ नागालैंड के लोगों को और मुख्य रूप से कोहिमा के लोगों को उनके प्यार और आतिथ्य के लिए जाना जाता है
समृद्ध और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है नागालैंड
नागालैंड को समृद्ध और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है. नागालैंड में प्रत्येक और हर जनजाति के पास उसकी स्वंय की औपचारिक पोशाक होती है जो भिन्न रंगों के भाले, मृत बकरियों के बालों, चिडि़यों के पंखों और हाथी के दांतों आदि से निर्मित होती है.
दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों को लेना होगा इनर परमिट
हालांकि यहां आने की इच्छा रखने वाले दूसरे प्रदेश के पर्यटकों के लिए ध्यान देने वाली बात ये है. कि उन्हें यहां आने के लिए इनर लाइन परमिट लेना होगा. उसके बिना हो कोहिमा नहीं पहुंच सकते. इनर लाइन परमिट साधारण पर्यटन दस्तावेज है. जो विदेशी पंजीकरण अधिकारी के दफ्तर में पंजीकरण कराने के 24 घंटे बाद प्राप्त हो जाता है.

कैसे पहुंचे ?
सड़क मार्ग
कोहिमा, उत्तर-पूर्व के सभी प्रमुख स्थानों जैसे – गुवाहटी, इम्फाल, शिलांग और दीमापुर सहित कई स्थानों से भली-भांति जुड़ा हुआ है. आप नेशनल हाईवे-37 के जरिए यहां पहुंच सकते हैं
रेलवे
कोहिमा में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है. रेलवे के जरिए आप दीमापुर तक पहुंच सकते हैं. उसके बाद 75 किलोमीटर की दूरी तय कर कोहिमा पहुंच सकते हैं
हवाई सेवा
यहां एक ही एयरपोर्ट है, जो कि कोहिमा शहर से 68 किमी. दूर है.
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